
नवापारा-राजिम :- दस दिनों तक चलने वाले पर्वाधिराज पर्युषण पर्व का आज सातवां दिवस उत्तम तप का दिन है । कर्मक्षय के लिए जो साधना की जाती है वह उत्तम तप है। बिना तपाये जैसे स्वर्ण शुद्धता को प्राप्त नहीं होता उसी प्रकार से तप किये बिना आत्मा भी शुद्ध परमात्म-पद को प्राप्त नही होती। तप करने से मन की विकारी प्रवृत्ति का भी उपशम होता है। मन-शुद्धि विश्व की सबसे बड़ी शुद्ध है इसलिए अंतरंग एवम बहिरंग तपों को करते रहना चाहिए। उपवास, उनोदर आदि बहिरंग तप हैं । प्रायश्चित, विनय आदि अंतरंग तप हैं। इसी कड़ी में नवापारा में चल रहे पर्युषण पर्व में सभी श्रावक अपनी-अपनी शक्ति अनुसार तपस्या कर रहे हैं। उपवास जैसी कठिन साधना में सबसे अधिक बच्चें उत्साह से तपस्या करते हुए जैन धर्म की भावना इन्द्रिय निरोधः तपः को चरितार्थ करते हुए आदर्श स्थापित कर रहे हैं ।
तपस्यारत साधकों के परिचय
कु. आरोही जैन 12वर्ष 7वीं में अध्ययनरत, दक्ष पहाड़िया 15वर्ष 10वीं में अध्ययनरत, कु. गाथा गंगवाल 16वर्ष 10वीं में अध्ययनरत, कु. श्रेया नाहर बीएड में अध्ययनरत, कु. कृति जैन डीसीए में अध्ययनरत, हर्षित सिंघई व्यवसायी, अनुभव जैन व्यवसायी, सौम्या चौधरी कंप्यूटर इंजीनियर, श्रीमती रिंकी जैन गृहणी, श्रीमती संगीता जैन गृहणी, 74 वर्षीय विमलचंद सिंघई जिनका सम्पूर्ण जीवन एक त्यागी जैसा व्यतीत कर रहे हैं । सभी तपस्वियों के तप की बहुत-बहुत अनुमोदना करते हुए तपस्या की सुखसाता और स्वास्थ्य की मंगलकामना करते हुए आगे के ताप की निर्विघ्न साधना की भावना बहते हैं। इसी कड़ी में सबसे छोटी साधक आरोही के निवास स्थान में कल संगीतमय भक्ति का आयोजन किया गया जहां समाज के सभी साधर्मी बंधुओं की उपस्थिति रही ।