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हसदेव अरण्य: जहां आये थे राहुल गांधी, वह मदनपुर उजड़ने नहीं देंगे- भूपेश बघेल, क्या आदिवासी ग्रामीणों का मांग होगा पूरा ………

Rj news, रायपुर। हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के लिए कोरबा के मदनपुर, सरगुजा और सूरजपुर से पैदल चलकर रायपुर आये आदिवासी ग्रामीणों से गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुलाकात की। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से कहा, साल 2015 में राहुल गांधी मदनपुर आए थे। वहां हमारे संघर्ष का समर्थन किया था। उन्होंने वादा किया था कि वे खनन नहीं होने देंगे। इसके बाद सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि जहां राहुल गांधी आए थे, उस गांव और उससे लगे जंगल को उजड़ने नहीं देंगे। उन्होंने ग्राम सभा के फर्जी प्रस्ताव से खनन स्वीकृति पाने के आरोपों की भी जांच का भरोसा दिया है।

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ सभी ग्रामीणों को मुख्यमंत्री निवास बुलाया गया। ग्रामीणों ने विस्थापन के खतरे, खनन के लिए अधिकारियों की मनमानी और खनन कंपनी के कर्मचारियों की गतिविधियों की शिकायत की। ग्रामीणों का कहना था, वे किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं छोड़ना चाहते। वह जंगल उजड़ गया तो उनकी संस्कृति, आजीविका भी संकट में पड़ जाएगी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, जिस मदनपुर में राहुल गांधी आए थे, उस गांव और उससे लगे जंगल को उजड़ने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने ग्राम सभा के फर्जी प्रस्ताव से खनन स्वीकृति पाने के आरोपों की भी जांच का भरोसा दिया। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से कहा, 2015 में राहुल गांधी मदनपुर आए थे। वहां हमारे संघर्ष का समर्थन किया था। उन्होंने वादा किया था कि वे खनन नहीं होने देंगे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाने के बाद भी उनके गांवों से विस्थापन का खतरा टला नहीं है। नए-नए कोल ब्लॉक का आवंटन जारी है। कोल बेयरिंग एक्ट लगाकर जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा। बाद में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, उनकी सरकार कल भी आदिवासियों के साथ खड़ी थी, आज भी खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी।

कहा, सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिए गए भरोसे से सरगुजा के आदिवासियों में एक बार फिर उम्मीद की किरण जगी है। उनका 300 किलोमीटर पैदल चलकर आना सार्थक नजर आ रहा है। बताते चलें कि हसदेव अरण्य क्षेत्र के गांवों के सैकड़ों ग्रामीण 2 अक्टूबर को फतेहपुर में एक सम्मेलन कर 4 अक्टूबर से राजधानी रायपुर तक की पदयात्रा की घोषणा की थी। 4 अक्टूबर को ग्रामीण मदनपुर गांव की उसी चौपाल में इकट्‌ठा हुए जहां 2015 में राहुल गांधी ने खनन परियोजनाओं का विरोध कर रहे ग्रामीणों से बात की थी। वहां से सभी लोग रायपुर की पदयात्रा पर चले। जंगलों, पहाड़ों, गांवों, शहरों को पार करते हुए ग्रामीण 13 अक्टूबर को रायपुर पहुंचे। यहां उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने की इजाजत नहीं मिली थी। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से मुलाकात कर ग्रामीण रात रायपुर में ही रुके। अगली सुबह बूढ़ातालाब के किनारे धरना दिया और फिर शाम को राज्यपाल मुलाकात की। इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी चर्चा के लिए उन्हें बुलाया और हसदेव अरण्य को बचाने के लिए आश्वासन दिया।

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