सिरपुर: पर्यटन नगरी सिरपुर में पुरातत्त्व विभाग ने मजदूरों को कार्य से निकला, मजदूरों ने किया हड़ताल जानिए पूरा मामला…
लुकेंद्र साहू, सिरपुर – महासमुंद
भारतीय पुरातत्व विभाग में कार्य कर रहे मजदूरों को विभाग ने कार्य से निकाल दिया सिरपुर स्थित प्राचीन स्मारकों में साफ-सफाई व देखरेख का कार्य करते आ रहे मजदूरों को एक बार फिर विभाग से निकाल दिया गया है सभी मजदूर लगभग 15 से 20 वर्षों से स्मारकों की देखरेख व साफ-सफाई का कार्य करते आ रहे हैं लेकिन रायपुर मंडल के अधिकारी व ठेकेदार की मिलीभगत से सभी मजदूरों को जबरदस्ती आउटसोर्सिंग ठेकेदारी में कार्य करने के लिए मजबूर किया गया और ठेकेदारी में डाल दिया गया 23 फरवरी से 31 मार्च तक ठेका दे दिया गया फिर से 1 अप्रैल 30 जुलाई तक ठेका दे दिया गया उसके बाद 1 अगस्त से 10 अगस्त तक सभी मजदूरों को ठेका समाप्त होने का हवाला देते हुए ठेकेदार ने अपना काम बंद कर दिया और विभाग के तरफ से भी कहा गया कि अभी ठेका नहीं हुआ है तो काम में मत आओ जब ठेका होगा तब आना काम में कहते हुए काम बंद कर दिया गया, 11 अगस्त से 30 सितंबर तक के लिए फिर ठेका दिया गया और काम भी चलता रहा अब ठेका समाप्त होने का बात कहते हुए अधिकारियों ने काम मे आने से मना कर दिया जब ठेका होगा तब काम में आना कहते हुए सभी मजदूरों को 1 अक्टूबर से फिर विभाग से बाहर कर दिया गया सभी मजदूरों भारतीय पुरातत्व विभाग रायपुर ऑफिस पहुंचकर अधीक्षण सब सर्किल रायपुर छत्तीसगढ़ के सामने अपनी समस्याओं को रखा किंतु अधिकारियों के द्वारा एक दूसरे का कार्य है कहते हुए सभी अपना अपना पल्ला झाड़ दिया लॉक डाउन की वजह से बेरोजगारी बढ़ी हुई है ऐसे समय में विभाग के इस फैसले से सभी मजदूरों के सामने बेरोजगारी व भूखों मरने की स्थिति उत्पन्न हो गई है इधर शासन की ओर से सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर दिया जाता है किंतु उसी धरोहर को सहेज कर रखने वाले मजदूरों की दैनिय स्थिति खराब है पहले मस्टररोल में कार्य करते समय सभी मजदूरों को समय में वेतन नहीं दिया जाता था कभी 6 माह में तो कभी 9 माह में वेतन दिया जाता था फिर भी सभी मजदूर धैर्य रखते हुए अपने कार्य को पूर्ण निष्ठा से करते रहे और अब ठेकेदारी होने के बाद अब ठेका समाप्त होने का हवाला देकर सभी मजदूरों को परेशान किया जा रहा है ।