प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं. मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में नागरिकों में अपने दायित्वों का अहसास है. हर तरह के उत्सवों में लोग संयम बरत रहे हैं. देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैसे मैं मन की बात सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगता हूं क्योंकि हो सकता है, उन्हें अब ये मन की बात कार्यक्रम सुनने के बाद खिलौनों की नई-नई डिमांड सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा. खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं. खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं.
प्रधानमंत्री ने मन की बात में किसानों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि ऋगवेद में मंत्र है- अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः अर्थात अन्नदाता को नमन है. किसान को नमन है. किसानों ने कोरोना जैसे कठिन समय में अपनी ताकत को साबित किया है. हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है.
पीएम मोदी ने कहा कि हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे सामने आएगी- हमारे पर्व और पर्यावरण. इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता है. बिहार के पश्चिमी चंपारण में सदियों से थारू आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन, उनके शब्दों में ‘60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं. प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारू समाज के लोगों ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और ये सदियों से है.
पीएम मोदी ने कहा कि आम तौर पर ये समय उत्सव का है. जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं. कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग और उत्साह तो है ही, मन को छू लेने वाला अनुशासन भी है.
प्रधानमंत्री कोरोना संकट के बीच अनलॉक 4 को लेकर अपनी बात लोगों से साझा कर रहे हैं. क्योंकि केंद्र सरकार ने अनलॉक-4 की गाइडलाइंस में 7 सितंबर से मेट्रो सेवा बहाल करने की मंजूरी दी है. 21 सितंबर से धार्मिक आयोजन में 100 लोगों के शामिल होने की भी इजाजत दी गई है.