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बरसात के दिनों में बरसाती पानी से बुझती है प्यास ग्रामीणों ने सुनाई दीपिका को अपनी व्यथा…..

सुकमा :- यूँ तो छत्तीसगढ़ में शासन ने पेयजल हेतु कई योजनाओं का संचालन कर रखा हैं व शासन के नुमाइंदे भी अपनी योजनाओं का बखान करते नहीं थकते पर आज हम आपको सुकमा जिले की जमीनी हकीकत से रूबरू करवाते हैं सुकमा जिले में एक स्थान ऐसा भी है जहां बरसात के दिनों में ग्रामीण बरसाती पानी से बुझाते हैं अपनी प्यास हम बात कर रहे हैं धुर नक्सलप्रभावित ग्राम लामनगोंदी,चावरपारा,पटनम पारा,नयापारा की जिला मुख्यालय से लगभग 80 किमी दूर बसे यह गाँव छिंदगढ़ ब्लॉक के ग्रामपंचायत चिउरवाड़ा के आश्रित ग्राम हैं बरसात के दिनों में त्रिपाल बांध कर बारिस के पानी को इकट्ठा कर पीने वाले इन ग्रामीणों ने बहुत बार अपनी समस्या प्रशासन के सामने रखी जब प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की तो उन्होंने अपने गाँव मे भाजपा नेत्री प्रदेश उपाध्यक्ष भाजयुमो अधिवक्ता दीपिकाशोरी को अपनी समस्या बताने गाँव बुलाया इन ग्रामीणों के दर्द को देखकर दीपिका भावुक हो उठी व उन्होंने इनका दर्द का एहसास करने स्वयं पानी से भरे गगरे को उठाकर उनके घर तक पहुंचाया

दीपिका ने बताया कि वर्ष भर ये नदी के पानी को पीते हैं परन्तु बरसात के दिनों में नदी में बाढ़ आने से इनकी समस्या बढ़ जाती है साफ पानी नहीं मिलने पर ये पूरी तरह बरसाती पानी को पीने हेतु मजबूर हो जाते हैं

खुले आसमान के नीचे त्रिपाल बांध कर एकत्र करते है पीने का पानी

इन गाँव में रहने वाले ग्रामीणों की दुर्दशा इस बात से लगा सकते हैं कि बरसात के दिनों में पीने के पानी की कोई व्यवस्था न होने पर खुले आसमान के नीचे त्रिपाल बांध कर उसके नीचे हंडी रखकर पानी एकत्र कर उसका उपयोग तीन से चार दिनों तक पीने हेतु उपयोग करते हैं,

बरसात से पहले चुआं का सहारा

इन ग्रामीणों को वर्षभर पीने के पानी हेतु नदी के किनारे रेत खोदकर चुआं पर निर्भर रहना पड़ता है जब धीरे धीरे पानी बढ़ने पर नदी का पानी गन्दा हो जाने पर इस चुआं का सहारा भी छूट जाता है

प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है शासन के नुमाइंदों पर

विकास की बड़ी बड़ी बात करने वाले शासन के नुमाइंदों पर प्रश्रचिन्ह खड़ा होना लाजिमी है कि जब एक राजनीतिक पार्टी की महिला प्रतिनिधि ऐसे दुर्गम क्षेत्र में आकर ग्रामीणों के बीच उनकी समस्या को देख सकती हैं तो जनता के स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध रखने वाले पीएचई विभाग के कर्मचारियों की पहुंच अब तक इन गाँव मे क्यों नहीं हो पाई है

छोटे छोटे बच्चों को देख भावुक हो उठी दीपिका

इन गाँव मे समस्याओं के बीच नन्हे बचपन को देखकर दीपिका भावुक हो उठी जब पता चला कि इन्हें आंगनबाड़ी के द्वारा मिलने वाला पोषक आहार भी प्राप्त नहीं होता है इसके बाद दीपिका ने उपस्थित सभी बच्चों को अपने हाथों से बिस्किट खिलाया दीपिका के इस ममतामयी व्यवहार को देखकर सुदूर अंचल में रहने वाले ग्रामीण बहुत खुश हुए व उन्होंने पुनः अपने बीच त्योहार में आने का निमंत्रण भी दिया।

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