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‘प्यार कचरे को सोना बना देता है’ लेकिन सड़क-2 को संजय दत्त भी नहीं बना पाए ‘सोना’

सुना है प्यार कचरे को सोना बना देता है- आज देख भी लिया. इसी डॉयलाग के साथ फिल्म सड़क 2 शुरू होती है. फेक गुरु का पर्दाफाश करने निकलीं आलिया भट्ट (आर्या) को प्यार तो मिलता है लेकिन उसमें कहीं सोने की महक नहीं दिखाई देती. मां को खो चुकी लड़की इसके लिए गुरु को जिम्मेदार मानती है और उससे बदला लेना चाहती है. जिस बाप को वह दिलोजान से चाहती है वह गुरु घंटाल से भी बड़ा कसाई निकलता है. जिससे प्रेम करती है वह मारने के लिए भेजा गया गुंडा है. मासी ने बाप से शादी कर ली है और किसी भी तरह आर्या को खत्म करना चाहती है. जब तक उसे अपनी गलती का अहसास होता है बहुत देर हो चुकी होती है. आर्या की मदद के लिए आगे आता है रवि (संजय दत्त) जिससे उसका कोई रिश्ता नहीं है, लेकिन यह फिल्म संजय दत्त की न होकर वैसे ही उनकी हो जाती है. जैसे आर्या के कुछ न होते हुए भी वह उसके लिए पिता से भी बड़े हो जाते हैं.

कुछ ऐसी है फिल्म की कहानी और उसके किरदार

पत्नी की एक्सिडेंट में मौत के बाद उसके प्रेम में पागल रवि (संजय दत्त) के जीने का मकसद खत्म हो चुका है. वह आत्महत्या करना चाहता है लेकिन परिस्थितियां उसका साथ नहीं देतीं. पंखे पर लटकने की कोशिश करता है तो उसका हुक ही टूट जाता है. उसका दोस्त उसे डॉक्टर के पास ले जाता है. जहां आलिया (आर्या) को लाया गया है.

आर्या गुरु का पोस्टर जलाते पकड़ी गई थी और उसकी सौतेली मां उसे पागल करार कराना चाहती है क्योंकि 21 साल की होने पर सारी जायदाद उसकी होने वाली है. उसकी मां की लंग कैंसर से मौत हो चुकी है लेकिन वह उसके लिए गुरु और अपनी सौतेली मां जो उसकी मासी ही है को जिम्मेदार मानती है. वह अस्पताल से भागकर सीधे पूजा टूर एंड ट्रैवल्स पहुंचती है जहां पर रवि फिर अपना जीवन दांव पर लगाने की तैयारी कर रहा होता है. काफी जद्दोजहद और पूजा के नाम पर रवि, आर्या को कैलाश ले जाने के लिए तैयार हो जाता है.

रास्ते में जब वह अपने प्रेमी को साथ ले जाने की बात करती है तब कहानी एक बार फ्लैशबैक में जाती है जहां पता चलता है कि कैसे आर्या, विशाल ( आदित्य रॉय कपूर) को अपना दिल दे बैठी. आर्या को बचाने के चक्कर में उसके हाथ से खून हो गया है और जेल से निकलकर सीधे आर्या और रवि को ज्वाइन करता है. उसके साथ एक तोता भी है कुंभकरण जो वह साथ ले आता है. किस जेल में तोता साथ रखने की इजाजत होती है यह महेश भट्ट ही बता सकते हैं.

सफर आगे बढ़ता है. आर्या चाहती है रवि के साथ ही सफर जारी रहे लेकिन विशाल को यह मंजूर नहीं. वह अपने दोस्त के माध्यम से गाड़ी बदलना चाहता है लेकिन उसका दोस्त गुरु के आदमियों से मिलकर दोनों को उसके हवाले कर देता है. दूसरी ओर रवि की गाड़ी में विशाल का तोता रह जाता है. वह जब उससे देने पहुंचता है तो उन्हें गुंडों से बंधा पाता है. तोते की उपयोगिता यहां पर दिखाई गई है जहां रवि और तोता मिलकर आर्या और विशाल को बचाते हैं.

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