धरसींवा:- नगर पंचायत कुंरा कहने से समझ आता है कि नगर कितना बड़ा होगा लेकिन यहां इस बड़े नगर में एक छोटा सा काजी हाउस है उसमे करीब 10 से 20 मवेशी ही रह सकते है। लेकिन बड़ी संख्या में मवेशी को नगर पंचायत कुंरा के (मंडी) राशन वितरण दुकान में रखा गया था वहां लगभग 100 मवेशियों को रखा गया था लेकिन उन मवेशियों के लिए चारे पानी की व्यवस्था उट के मुँह में जीरा के समान है,यहाँ कीचड़ के बीच गायों की जिंदगी बीत रही है। नगर से अफसरों को पता था कि यहाँ इस प्रकार की अवस्था है लेकिन इसको सुधारने की कोशिश नही किया गया।
48 घण्टो पानी के बीच रहे मवेशी…
पिछले 48 घण्टो से गिर रहे पानी के बीच लगभग 100 मवेशियों को रखा गया था ओ बिना चारा और बिना सुरक्षा व्यवस्था के इस बीच मे 4 मवेशियों की मौत और 1 की हालत गंभीर है।
4 मवेशियों की मौत 1 की हालत गंभीर…
नगर पंचायत कुंरा में 4 मवेशियों की मौत और 1 कि हालत गंभीर है अवस्था मे वही पड़े हुए है.नगर पंचायत कुंरा के कांजी हाउस में लापरवाही बरती जा रही थी, जिसे लेकर लोगों में आक्रोश था । बताया जा रहा है कि नगर पंचायत कुंरा के कांजी हाउस में कीचड़ ही कीचड़ है। अव्यवस्था के बीच में रखे मवेशियों के जान को खतरा था सही समय रहते ध्यान न दिए जाने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है, ऐसा लोगों का आरोप है। पिछले कई दिनों से नगर पंचायत कुंरा के द्वारा कुछ मवेशियों को कांजी हाउस में रखा गया था। लेकिन वहां चारे-पानी की व्यवस्था करना नगर पंचायत भूल गया। कीचड़ के बीच गायों की जिंदगी बीत रही थी
धरसींवा ब्लॉक के नगर पंचायत कुंरा के बाजार चौक में मवेशियों को रखने के लिए टैम्परेरी कांजी हाउस खोला गया है। इसमें पशुओं को खुले आसमान के नीचे, ठंड, बरसात के दिन भी रखा जाता है। इस कांजी हाउस की सफाई कभी भी नही की जाती है।कांजी हाउस के अंदर 1 फिट कीचड़, मल- मूत्र है, जिसके कारण चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ हो गए था । इस बीच मवेशियों की दिया जाने वाला पैरा भी कीचड़ में लथपथ हो जाता है.
खुले आसमान में मवेसी….
नगर पंचायत कुंरा में कांजी हाउस की जगह छोटी है और वहां ज्यादा मवेशियों को नही रखा जा सकता उसके कारण से और भी पशुओं को नगर पंचायत कुंरा के आफिस से लगे हुए राशन वितरण दुकान (मंडी) में रखा गया है यहां भी पशु को खुले आसमान के बीच रखा गया है,पशुओं को कुछ खाने पीने की व्यवस्था नही है ऐसे में पशुओं के जान को खतरा है। नगर के आला अधिकारी को इसकी कोई चिंता है की पशु कैसे वहां रह रहे है,इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कितना चिंता है सरकार के योजनाओं का।