नगर के एक निजी अस्पताल की संवेदनहीनता, आयुष्मान कार्ड का एप्रुवल ना होने से रोका मासूम का ऑपरेशन …….

नवापारा-राजिम : गोबरा नवापारा नगर के रेल्वे स्टेशन के समीप स्थित आयुष्मान अस्पताल का मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर देने वाला चेहरा सामने आया है, जिसके बाद नगर के लोग आयुष्मान अस्पताल के साथ-साथ उसके संचालक को भी लानत भेज रहे हैं . मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को एक किसान के 10 महीने के मासूम बच्चे का किसी बीमारी का आयुष्मान अस्पताल में ऑपरेशन होना था . इस दौरान मासूम के परिवार का आयुष्मान कार्ड को अप्रूवल मिलने में देरी के कारण अस्पताल द्वारा उसका ऑपरेशन रोक दिया गया .
इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन ने मासूम के परिजनों से नगदी 50 हजार रूपए और माँगा . इस बात की जानकारी मिलने पर नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता हिमांशु दुबे खुद रात में अस्पताल पहुंचे और पूरी जानकारी लेते हुए मानवीयता दिखाते हुए पूरी रकम खुद जमा करने की बात कहते हुए बुधवार से परेशान मासूम की तकलीफ को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन से तत्काल ऑपरेशन करने की गुजारिश की, लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा सुबह ऑपरेशन होगा, कह दिया गया . हिमांशु के अनुसार अस्पताल के संचालक व मुख्य डॉक्टर इतने गैरजिम्मेदार हैं कि अनुभवहीन स्टाफ के भरोसे अस्पताल छोड़कर खुद गायब हो जाते हैं और फोन करने पर फोन भी नहीं उठाते .
हिमांशु के अनुसार अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह है कि अस्पताल में मौजूद ड्यूटी डॉक्टर को ही खुद पता नहीं था कि बच्चे की बीमारी क्या है ? हिमांशु ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा वहां भर्ती होने वाले मरीजों के आयुष्मान कार्ड से पैसे निकालने के अलावा नगदी पैसे भी ले लेते हैं और बिल भी नहीं देते . बहरहाल आयुष्मान अस्पताल द्वारा 10 महीने के तड़पते मासूम बच्चे का ऑपरेशन केवल पैसे के लिए रोक देने की बात जैसे ही गोबरा नवापारा सहित अंचल के विभिन्न व्हाट्सएप्प ग्रुप में फैली, लोग अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग करने लगे . कई लोग तो यहाँ तक कहने से नहीं चूके कि ऐसे ही अस्पतालों व पैसे के लालची उनके संचालकों के चलते लोग अब डॉक्टरों को भगवान की जगह पैसों का पुजारी कहने लगे हैं .