जरा देखिए साहब कितनी जोखिम भरा और कितनी मजबूरियां है,इस ग्रामीण क्षेत्र मे हुकूमनारों ने कुछ योजनाओं से नक्शा ही गायब कर दिया|
आजादी के इतने साल गुजर जाने के बाद भी आज भी ग्रामीण पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में पानी की समस्या इतनी बढ़ गई कि ग्रामीणों को बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। सामरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत अमटाही में आजादी के इतने साल गुजर जाने के बाद भी हुकुम नारो ने अपने खाते से नक्शा ही गायब कर दिया है एक तरफ सरकार तो हर जिले मुख्यालय में नल जल योजना की दावे ठोकती है लेकिन यहां इस योजना की राजतंत्रो ने पोल खोल दिया है आपक़ो बतादेँ की ग्राम पंचायत अमटाही मे दूर दूर तक एक भी हैंड पंप नहीं है। प्रशासन को कई बार ग्रामीणों ने गांव में हैंडपंप लगाने के लिए मांग किये लेकिन आज तक एक भी हैंडपंप नहीं लगाया गया। यहां आज भी आजादी से लेकर इतने साल गुजर जाने के बाद भी पीना पड़ रहा है झरना में गुफा बनाकर गंदा पानी कुसमी विकासखंड से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर बसा ग्राम है लेकिन सरकारी योजनाओं से वंचित रहा यह ग्राम।
ग्रामीण अब झरनों में पानी के लिए भटक रहे हैं, वहीं एक चट्टान के निचे पानी मिला। जहां वह अपने पीने के लिए पानी भरते हैं। ग्रामीणों की माने तो यह समस्या कई वर्षों से है मगर जिले के आला अधिकारी आज तक इस ओर कोई पहल नहीं किये। वहीं ग्रामीणों के द्वारा इसकी मांग एवं शिकायत कई बार ग्रामसभा व ग्राम सुराज में कर चुके हैं। मगर आज तक उनकी कोई भी सुनने वाला नहीं है। इस ग्राम पंचायत के ग्रामीण सुबह होते ही अपने परिवार के साथ झरनों में पानी की तलाश करने के लिए निकल पड़ते हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधि अपनी चुनाव की दांवपेच खेलने के लिए तो हमें अपना तसल्ली दिखाकर चले जाते हैं मगर नेता जीतने के बाद भी कोई हमारे गांव में आज तक नहीं आया है।
उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कत गर्मी और बरसात में होती है। जब हमलोग बरसात के दिनों में बाढ़ आ जाने के कारण तीन-चार दिनों से गंदा पानी को ही अपने घरों में भरकर कुछ कचरा को बैठने के लिए रख देते हैं जमा कर पानी पीते हैं और एक हैरान कर देने वाली बात यह भी है की बरसात के दिनों में बाढ़ जाने के कारण अपने घर का छत से पानी गिरता है वही ओरी का पानी क़ो घड़ा मे भर कर छान कर पीना पड़ता है बीमार भी हो जाते है। मगर क्या करें प्यास बुझाने के लिए जैसा भी पानी मिले पर पानी है तो मज़बूरी मे पीना ही पड़ेगा।