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छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में आज कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक पारित ,इन धाराओं में हुआ है संशोधन।

रायपुर:- छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में आज छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। कृषि मंत्री  रविन्द्र चौबे ने इस विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस संशोधन विधेयक का कोई भी प्रावधान केन्द्र के कानून का उल्लंघन नहीं करता है। हम केन्द्रीय कानूनों का अतिक्रमण नहीं कर रहे हैं।

इस संशोधन विधेयक के माध्यम से छत्तीसगढ़ के किसानों के हितों और अधिकारों की रक्षा हो सकेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था कृषि पर आधारित है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के नए कानूनों से कृषि व्यवस्था में पूंजीपतियों का नियंत्रण बढ़ने के साथ ही महंगाई बढ़ने, समर्थन मूल्य में धान खरीदी और सार्वभौम पीडीएस प्रणाली के प्रभावित होने की आशंका है। छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक से किसानों गरीबों, मजदूरों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सकेगी।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने चर्चा के दौरान इस संशोधन विधेयक के उद्देश्य और कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रदेश में 80 प्रतिशत लघु एवं सीमांत कृषक हैं। लघु एवं सीमांत कृषकों की कृषि उपज भण्डारण तथा मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से, बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव तथा भुगतान की जोखिम को दृष्टिगत रखते हुए, उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल तथा समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने हेतु डीम्ड मंडी तथा इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना किया जाना कृषक हित में आवश्यक हो गया है।

विधानसभा में पारित छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2020 एक नजर में

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 को और संशोधित करने हेतु विधेयक। भारत गणराज्य के इकहत्तरवें वर्ष में छत्तीसगढ़ विधान मण्डल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो-

संक्षिप्त नाम, विस्तार तथा प्रारंभ

  1. (1) यह अधिनियम छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) अधिनियम 2020 कहलाएगा।
    (2) इसका विस्तार संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में होगा।
    (3) यह दिनांक 5 जून 2020 से भूतलक्षी प्रभाव से प्रवृत्त होगा।

धारा दो का संशोधन

  1. छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1972 (क्र.24 सन 1973) (जो इसमें इसके पश्चात मूल अधिनियम के रूप में निर्दिष्ट है) की धारा 2 की उपधारा (1) में,-

(एक) खण्ड (क) के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जाए अर्थात,-

(क) ’कृषि उपज’ से अभिप्रेत है कृषि, उद्यान कृषि, पशुपालन, मधुमक्खीपालन, मत्स्यपालन या वन संबंधी समस्त उत्पादन, चाहे वह प्रसंस्कृत या विनिर्मित हो या न हो, जो कि अनुसूची में विनिर्दिष्ट है,‘
(दो) खण्ड (छ) के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जाए अर्थात,-
(छ) मण्डी/डीम्ड मंडी से अभिप्रेत है धारा 4 के अधीन स्थापित की गई मण्डी/डीम्ड मंडी,‘

धारा चार का संशोधन

  1. मूल अधिनियम की धारा 4 के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जाए अर्थात,-
  2. मण्डी/डीम्ड मंडी की स्थापना तथा उसमें अधिसूचित कृषि उपज के विपणन का विनियम-
    (1) धारा 3 के अधीन जारी की गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की गई कालावधि का अवसान होने के पश्चात और ऐसी आपत्तियों तथा सुझावों पर, जो ऐसे अवसान के पूर्व प्राप्त हुए हो, विचार करने के पश्चात तथा ऐसी जांच, यदि कोई हो, जो आवश्यक हो, करने के पश्चात, राज्य सरकार, अन्य अधिसूचना द्वारा धारा 3 के अधीन अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए गए क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए, इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए अनुसूची में विनिर्दिष्ट की गई कृषि उपज के संबंध में मण्डी स्थापित कर सकेगी और इस प्रकार स्थापित की गई मण्डी ऐसे नाम से जानी जाएगी, जो कि उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए।
    (2) राज्य सरकार, अन्य अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए, अनुसूची में विनिर्दिष्ट की गई कृषि उपज के क्रय-विक्रय, प्रसंस्करण या विनिर्माण, कोल्ड स्टोरेज, साइलोज, भण्डागार, इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग तथा लेन-देन प्लेटफार्म और ऐसे अन्य स्थान अथवा संरचनाओं को, डीम्ड मंडी घोषित/स्थापित कर सकेगी, जो कि उपधारा (1) के अधीन स्थापित मंडी की डीम्ड मंडी के नाम से जानी जाएगी। डीम्ड मंडी स्थापित किए जाने हेतु धारा 3 की उपधारा (1) एवं (2) के प्रावधान लागू नहीं होंगे‘।

धारा 19 का संशोधन

  1. मूल अधिनियम की धारा 19 की उपधारा (1) के खण्ड (दो) के पश्चात निम्नलिखित जोड़ा जाए अर्थात,-
    (तीन) अधिसूचित कृषि उपज, चाहे वे राज्य के भीतर से या राज्य के बाहर से किसी मंडी प्रांगण या उप मंडी प्रांगण या विशेष वस्तु मंडी प्रांगण या टर्मिनल मार्केट कॉम्प्लेक्स या डीम्ड मंडी में विक्रय के लिए लाई गई हो, के विक्रय या वितरण और प्रसंस्करण तथा विनिर्माण में उपयोग में लाए जाने पर या प्रसंस्करण तथा विनिर्माण के पश्चात विक्रय किए जाने पर’

नवीन धारा 20-क का अन्तःस्थापन

  1. मूल अधिनियम की धारा 20 के पश्चात निम्नलिखित अंतःस्थापित किया जाए, अर्थात
    ‘20-क कृषक/विक्रेता हित संरक्षण की दृष्टि से लेखे पेश करने हेतु आदेश देेने की शक्ति और प्रवेश, निरीक्षण तथा अभिग्रहण की शक्तियां-

(1) मण्डी समिति का सचिव या बोर्ड या मण्डी समिति का कोई भी अधिकारी या सेवक, जो सक्षम प्राधिकारी द्वारा सशक्त किया गया हो तथा इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित अधिकारी या सेवक, किसी ऐसे व्यक्ति से, जो किसी भी किस्म की अधिसूचित कृषि उपज का व्यापार करता हो, विक्रेता/कृषक से, क्रय कृषि उपज के संबंध में, यह अपेक्षा कर सकेगा कि अधिसूचित कृषि उपज के क्रय विक्रय से संबंधित लेखे, तथा अन्य दस्तावेज या प्रारूप, जैसा कि अधिसूचना द्वारा विहित किया जाए, संधारित करे और कोई ऐसी जानकारी दे, जो ऐसी कृषि उपज के क्रय, विक्रय तथा परिदान से संबंधित हो।

(2) किसी अधिसूचित कृषि उपज के व्यापार के संबंध में अधिसूचना के अनुसार संधारित समस्त लेखे तथा रजिस्टर और ऐसी कृषि उपज के क्रयों, विक्रयों तथा परिदानों से संबंधित दस्तावेज, प्रारूप, जो उसके कब्जे में हो, और ऐसे व्यक्ति के कार्यालय, व्यापार के स्थान, भण्डागार, स्थापना, प्रसंस्करण या विनिर्माण इकाई या वाहनों का निरीक्षण, मण्डी समिति या बोर्ड के सचिव या मंडी समिति के किसी अधिकारी या सेवक तथा राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में अधिसूचित अधिकारी या सेवक के द्वारा किया जा सकेगा।

(3) यदि किसी ऐसे अधिकारी या सेवक के पास यह संदेह करने का कारण हो कि कोई व्यक्ति निर्धारित प्रारूप में लेखे एवं दस्तावेज प्रारूप संधारित नहीं करता या मिथ्या लेखे संधारित कर रहा है, तो वह कारणों को लेखबद्ध करते हुए, ऐसे व्यक्ति के ऐसे लेखे, रजिस्टर या दस्तावेज, प्रारूप तथा अधिसूचित कृषि उपज जैसा कि आवश्यक हो, अभिग्रहित कर सकेगा तथा उनके लिए एक रसीद देगा और उन्हें तब तक रखे रहेगा, जब तक कि वे उनकी परीक्षा के लिए या अभियोजन के लिए आवश्यक हो।
(4) उप धारा (2) या उपधारा (3) के प्रयोजनों के लिए ऐसा अधिकारी या सेवक किसी भी व्यापार के स्थान, भण्डागार, कार्यालय, स्थापना, गोदाम, प्रसंस्करण या विनिर्माण इकाई या वाहन में, जिसके संबंध में ऐसे अधिकारी या सेवक के पास यह विश्वास करने का कारण हो कि उनमें ऐसा व्यक्ति अपने व्यापार के लेखे, रजिस्टर या दस्तावेज, प्रारूप या अपने व्यापार के संबंध में अधिसूचित कृषि उपज के स्टॉक रखता है या तत्समय रखा है, प्रवेश कर सकेगा या तलाशी ले सकेगा।

(5) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का सं. 2) की धारा 100 के उपबन्ध, यथाशक्य उपधारा (4) के अधीन तलाशी के लिए लागू होंगे।

(6) जहां कोई लेखा पुस्तकें या अन्य दस्तावेज, प्रारूप किसी स्थान से अभिग्रहित की जाए और उनमें ऐसी प्रविष्टयां हो जो विक्रेता/कृषक से क्रय अधिसूचित कृषि उपज के परिमाण (मात्रा), क्रय करार, दरों, तौल तथा भुगतान से संबंधित हों, वहां ऐसी लेखा पुस्तकें या अन्य दस्तावेज, प्रारूप उन्हें साबित करने के लिए, साक्षी के उपसंजात हुए बिना ही, साक्ष्य के रूप में ग्रहण की जाएगी और ऐसी प्रविष्टियां, उन मामलों में, संव्यवहारों तथा लेखाओं की, जिनका कि उनमें अभिलिखित होना तात्पर्यित हैं, प्रथम दृष्टया साक्ष्य होगी।


(7) अधिसूचित कृषि उपज के क्रय-विक्रय से संबंधित लेखा पुस्तकें या अन्य दस्तावेज, प्रारूप मिथ्या पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध तथा अभिग्रहित अधिसूचित कृषि उपज के लिए मंडी समिति के सचिव या राज्य सरकार या बोर्ड या मण्डी समिति के कोई भी अधिकारी या सेवक, जिसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा इस संबंध में प्राधिकृत किया गया हो, के द्वारा वाद दायर किया जा सकेगा।

धारा 36 का संशोधन

  1. मूल अधिनियम की धारा 36 के पश्चात निम्नलिखित जोड़ा जाए अर्थात,-
    36-क. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म – (1) राज्य सरकार, अधिसूचित कृषि उपज के विक्रय में कृषक/विक्रेता को अपने उत्पाद को स्थानीय मंडी के साथ-साथ प्रदेश की अन्य मंडियों तथा अन्य राज्यों के व्यापारियों को गुणवत्ता के आधार पर पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से विक्रय कर बेहतर कीमत प्राप्त करने तथा समय पर आनलाईन भुगतान हेतु इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना कर सकेगी।
    (2) इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म में अधिसूचित कृषि उपज के पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया तथा आनलाईन भुगतान राज्य सरकार द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा।
    धारा 49 का संशोधन
  2. मूल अधिनियम की धारा 49 की उप धारा (4) के पश्चात निम्नलिखित जोड़ा जाए अर्थात,-
    ‘(4-क) यदि कोई व्यक्ति, जिसे अधिसूचित कृषि उपज के क्रय एवं विक्रय से संबंधित लेखा पुस्तिका या अन्य दस्तावेज, प्रारूप के संबंध में जानकारी देने के लिए धारा 20-क के अधीन अपेक्षित किया जाए।
    (क) कोई जानकारी देने में जानबूझकर उपेक्षा करेगा या कोई जानकारी देने से इंकार करेगा या
    (ख) मिथ्या जानकारी या जानबूझकर मिथ्या जानकारी देगा,

(ग) लेखा-पुस्तकें या अन्य दस्तावेज, प्रारूप में संधारित मात्रा से अधिक या कम अधिसूचित कृषि उपज रखता हो, तो वह दोष सिद्धि पर कारावास से, जिसकी अवधि 3 मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो पांच हजार रूपए तक का हो सकेगा या दोनों से, दण्डित किया जाएगा तथा पश्चातवर्ती उल्लंघन की दशा में, कारावास से, जो 6 मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से जो दस हजार रूपए तक का हो सकेगा या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।‘

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