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किस्‍से: अटल बिहारी वाजपेयी ने दोबारा क्‍यों लगवाई नेहरू की तस्वीर और कैसे करते थे भाषण की तैयारी जाने आप भी …

भारतीय राजनीति के युगपुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़े ऐसे कई किस्‍से हैं, जो बताते हैं कि क्‍यों उनके विरोधी भी उनका सम्‍मान करते थे. इसका एक किस्‍सा पं. जवाहर लाल नेहरू की तस्‍वीर से जुड़ा है. अटल बिहारी वाजपेयी पंडित नेहरु के राजनीतिक विरोधी होने के बाद भी उनका सम्मान करते थे.

आज अटल जी की 97वीं जयंती है, इस मौके पर जानिए, उनके जीवन के कुछ दिलचस्‍प किस्‍से-

जब स‍चिव से पूछा, क्‍यों गायब है तस्‍वीर


साल 1977 में जब अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला तो साउथ ब्‍लॉक स्थित अपने ऑफिस पहुंचे. ऑफिस की दीवार पर उन्‍होंने देखा कि नेहरू की तस्‍वीर नहीं है जो वहां नजर आती थी. उन्‍होंने अपने सचिव को बुलाया और कहा, यहां जो फोटो लगी रहती थी वो कहां है?

अध‍िकारियों से जब इसकी जानकारी ली गई तो जवाब मिला कि तस्‍वीर को इसलिए हटा दिया गया था कि शायद वाजपेयी उनकी फोटो देखकर खुश नहीं होंगे. इस घटना के बाद वापस फोटो को उसी जगह लगाया गया.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अटल बिहारी वाजपेयी ने पंडित नेहरू से कहा था कि आपका व्‍यक्‍ति‍त्‍व काफी मिला-जुला है. आपके व्‍यक्‍ति‍त्‍व में चर्चिल और चैंबरलेन दोनों हैं. उनकी बात सुनकर वो नाराज नहीं हुए.

विरोधी भी करते थे तारीफ


राजनीतिक विरोधी भी अटल जी का कितना सम्‍मान करते थे इसका एक उदाहरण किंगशुक नाग की किताब ‘अटलबिहारी वाजपेयी- ए मैन फ़ॉर ऑल सीज़न’ के एक किस्‍से से समझा जा सकता है. उनकी किताब के मुताबिक, एक बार नेहरू ने भारत यात्रा पर आए एक ब्रिटिश प्रधानमंत्री से वाजपेयी को मिलवाते हुए कहा था, ‘इनसे मिलिए, ये विपक्ष के उभरते हुए युवा नेता हैं. हमेशा मेरी आलोचना करते हैं लेकिन इनमें मैं भविष्य की बहुत संभावनाएं देखता हूं’.

ऐसे करते थे भाषण की तैयारी


अटल जी को एक बेहतरीन वक्‍ता के तौर पर भी जाना जाता है, लेकिन उन्‍होंने कभी भी पूरा भाषण लिखकर नहीं पढ़ा. इसका एक किस्‍सा वाजपेयी के निजी सचिव रहे शक्ति सिन्हा ने बीबीसी की एक रिपोर्ट में साझा किया है. सिन्‍हा ने बताया, अटल जी ने कभी भी सार्वजनिक भाषणों के लिए कोई तैयारी नहीं की. उन्‍होंने कभी भी पूरा भाषण नहीं लिखा. संसद के पुस्‍तकालय से पत्र‍िका, पुस्‍तक और अखबार मंगाकर भाषण के प्‍वॉइंट्स बनाते थे. उन्‍हें क्‍या बोलना है इसकी पूरी तस्‍वीर द‍िमाग में तैयार कर लेते थे. सार्वजनिक तौर दी जाने वाली स्‍पीच हो या लोकसभा में दिया जाने वाला भाषण, उन्‍हें क्‍या कहना है, इसके लिए उन्‍होंने कभी स्‍पीच नहीं तैयार की.

यही वजह है कि एक बार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष अनंतशायनम अयंगर ने कहा था कि लोकसभा में अंग्रेज़ी में हीरेन मुखर्जी और हिंदी में अटल बिहारी वाजपेयी से अच्छा वक्ता कोई नहीं है.

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